एक दान, एक बदलाव: मिलकर बनाएं हर जीवन को बेहतर
भारत एक विशाल और विविधताओं से भरा देश है, लेकिन आज भी यहां करोड़ों लोग ऐसे हैं जो गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, और सामाजिक भेदभाव जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। जन कल्याण शिक्षा और सेवा संस्थान, अमेठी (उत्तर प्रदेश), इन्हीं समस्याओं से लड़ने के लिए एक मजबूत आवाज बनकर उभरा है।
हमारा उद्देश्य सिर्फ मदद करना नहीं, बल्कि समाज के हर तबके को सशक्त बनाना है – फिर चाहे वो गरीब परिवार, महिलाएं, या विकलांगजन हों। हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति गरिमा के साथ जीवन जी सके, आत्मनिर्भर बन सके, और एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सके।
🌾 हम क्या करते हैं?
ग्रामीण और वंचित समुदायों के बच्चे अक्सर शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। हमारी संस्था उन्हें निःशुल्क शिक्षा, पुस्तकें, यूनिफॉर्म, और डिजिटल लर्निंग सामग्री उपलब्ध कराती है, ताकि हर बच्चा अपने सपनों की उड़ान भर सके।
- 🩺 स्वास्थ्य सेवा और जनचेतना
हम गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य शिविर आयोजित करते हैं, जहां निःशुल्क जांच, दवाएं, और जागरूकता प्रदान की जाती है। माताओं, बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर हमारा विशेष ध्यान रहता है।
- 🧕 महिला सशक्तिकरण
हम मानते हैं कि जब एक महिला सशक्त होती है, तो पूरा समाज सशक्त होता है।
हम महिलाओं को स्वरोजगार, कौशल प्रशिक्षण (जैसे सिलाई, कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर), स्व-सहायता समूहों की स्थापना, और वित्तीय साक्षरता जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाते हैं। साथ ही, हम उन्हें घरेलू हिंसा और उनके अधिकारों के प्रति भी जागरूक करते हैं।
हमारा समाज तभी संपूर्ण कहलाएगा जब हर व्यक्ति को बराबरी का अधिकार मिले।
हम विकलांगजनों को व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र, बैसाखी आदि उपकरण निःशुल्क प्रदान करते हैं। साथ ही, उन्हें कौशल विकास और रोजगार के अवसर देकर मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश करते हैं।
- 🍛 भोजन और राहत सामग्री वितरण
प्राकृतिक आपदाओं, महामारी या किसी भी संकट के समय, हम जरूरतमंद परिवारों को भोजन, कपड़े, दवाइयां और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराते हैं। हमारे वालंटियर बिना थके काम करते हैं ताकि कोई भूखा न सोए।
💡 हम क्यों करते हैं ये सब?
क्योंकि हम मानते हैं कि “सेवा ही सच्चा धर्म है।”
हमने कई परिवारों को गरीबी से उबरते देखा है, कई महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होते देखा है, और विकलांगजनों को आत्मसम्मान के साथ जीवन जीते देखा है — और यही हमारे काम की सबसे बड़ी प्रेरणा है।
💬 आपकी मदद क्यों जरूरी है?
हमारी टीम तो समर्पित है, लेकिन संसाधन सीमित हैं। इस नेक कार्य को और अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। आपका एक छोटा सा दान किसी की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकता है:
- ₹500 से एक बच्चे को किताबें और कॉपी दी जा सकती हैं।
- ₹1000 से एक महिला को सिलाई मशीन का प्रशिक्षण मिल सकता है।
- ₹2500 से एक विकलांगजन को व्हीलचेयर दी जा सकती है।
- ₹5000 से एक पूरे गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाया जा सकता है।
🤝 दान कैसे करें?
आप नीचे दिए गए माध्यमों से दान कर सकते हैं:
- UPI/PhonePe/Google Pay: [12412388@cbin]
- बैंक ट्रांसफर:
- खाता नाम: जन कल्याण शिक्षा और सेवा संस्थान
- खाता संख्या: 5771523834
- बैंक का नाम: सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया
- IFSC कोड: CBIN0283656
- हमारी वेबसाइट पर दान करें: https://sewarth.org/
- 🧾 आपके योगदान पर टैक्स लाभ!
- हमें यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि जन कल्याण शिक्षा और सेवा संस्थान को दिया गया आपका दान भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 80G के अंतर्गत टैक्स लाभ के लिए पात्र है।
- 🔹 इसका अर्थ है कि आप जो भी दान करेंगे, उस राशि का 50% तक टैक्स में छूट (Rebate) प्राप्त कर सकते हैं।
🔹 इससे आप एक नेक कार्य में सहयोग देने के साथ-साथ अपना आयकर भी बचा सकते हैं। - 📩 दान करने के बाद आपको 80G की रसीद प्रदान की जाएगी, जिसे आप अपने आयकर रिटर्न में उपयोग कर सकते हैं।
- ✅ “अब दान करें – और नेक कार्य के साथ टैक्स बचत का भी लाभ उठाएं!’’
🕊️ हर दान एक नई आशा है…
जब आप किसी जरूरतमंद के लिए हाथ बढ़ाते हैं, तो आप सिर्फ मदद नहीं करते – आप उन्हें आत्मसम्मान, विश्वास और एक नई दिशा देते हैं।
आज ही दान करें, ताकि हम मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण कर सकें,
- जहां हर बच्चा पढ़ सके,
- हर महिला आत्मनिर्भर हो,
- हर विकलांगजन सम्मान से जी सके,
- और कोई भी भूखा न सोए।
“सच्ची सेवा वही है जो बिना अपेक्षा के की जाए, और ऐसा हर दान, इंसानियत की जीत होती है।“
🙏 हम आपका सहयोग चाहते हैं — चलिए मिलकर बदलाव की ये मशाल जलाएं।
जन कल्याण शिक्षा और सेवा संस्थान, अमेठी (उ.प्र.)
📞 संपर्क करें: 9711998808
📧 ईमेल: [email protected]
🌐 वेबसाइट: https://sewarth.org/
चाहें आप छात्र हों, व्यापारी, गृहिणी, या सेवा में कार्यरत कोई भी नागरिक – आप इस मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं।
अब समय है सिर्फ सोचने का नहीं, कुछ करने का।
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